Sunday, February 15, 2009

धुंध

जिंदगी कम रोशनी में
धुंआ हो गयी है....
आंसुओ ने भी..
ओंस में घुलकर
अपनी पहचान खो दी है,

कंहा ढूंढे हम
अपना वजूद....
जब अजनबी सी
परछाईयों ने ही
इसे अपनी पहचान दे दी है..

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